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लेखनी कहानी -20-May-2023 आखिरी किताब

मेरी जिंदगी की पहली और आखिरी किताब हो तुम 
कविता की तरह रग रग से टपकती हुई शराब हो तुम 
कल्पनाओं की उड़ान शब्दों का समंदर छंदों की प्रेरणा 
जीवन को महकाने वाली गजल रूपी गुलाब हो तुम 
अलंकार की जननी हो फसाना या एक ख्वाब हो तुम 
कवि की कलम से बना वो मचलता हुआ शबाब हो तुम 
तुम्ही हर प्रश्न हो और हर प्रश्न का भी जवाब हो तुम 
पढकर जिसे दिल ना भरे वो श्रंगार रस बेहिसाब हो तुम 
कालिदास की शाकुन्तलम सी सौन्दर्या नायाब हो तुम 
किसी शायर की रुबाई सी एक नज्म लाजवाब हो तुम 

श्री हरि 
20.5.23 


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2 Comments

Abhinav ji

20-May-2023 08:57 AM

Very nice 👍

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Reena yadav

20-May-2023 07:45 AM

👍👍

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